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उत्तराखंड में 22 साल में लापता हुए 7,741 लोग, हरिद्वार से सबसे ज्यादा 2495 हुए गुमशुदा

उत्तराखंड को बने 22 साल का वक्त पूरा हो चुका है, लेकिन लापता लोगों को ढ़ूंढ़ना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है. एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में लापता लोगों की संख्या अभी तक 7,741 पहुंच चुकी है. वहीं इन 22 सालों में पुलिस (Uttarakhand Police) ने 5,723 लापता लोगों को ढूंढा भी है. उत्तराखंड में लापता लोगों की अनसुलझी गुत्थी पर हमारी ये रिपोर्ट देखिए. 9 नवंबर सन 2000 में उत्तराखंड राज्य बना, तब से लेकर आज तक उत्तराखंड में 7,741 लोग मिसिंग हैं. ये मिसिंग के मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं. उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों के लापता होने से विभिन्न तरह के अपराध होने की आशंकाएं हैं. इन मिसिंग लोगों में महिला, पुरुष और बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं. उधर पुलिस का कहना है कि मिसिंग के मामलों में हर तीन महीने में इसकी समीक्षा की जाती है.

किस जिले में कितने लोग
उत्तराखंड में सबसे ज्यादा लापता लोग हरिद्वार (Haridwar) जिले में 2495 हैं, देहरादून में 2264 लोग लापता हैं. राज्य के तेरह जिलों में लापता लोगों की संख्या की बात करें तो अल्मोड़ा 54, बागेश्वर 69, चमोली 489, चंपावत 43, देहरादून 2264, हरिद्वार 2495, नैनीताल 378, पौड़ी 174, पिथौरागढ़ 221, रुद्रप्रयाग 125, टिहरी 108, उधम सिंह नगर 1247 और उत्तरकाशी में 80 लोग लापता हैं.

संख्या चौंकाने वाली
ये आंकड़ा जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क का है. जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क के आंकड़ो को देखें तो उत्तराखंड में वर्तमान तक 7,741 लोग मिसिंग चल रहे हैं. ये आंकड़ा उत्तराखंड बनने की तिथि से अभी तक का है. वहीं 9 नवंबर 2000 से दिसंबर 2022 तक अन्य स्थानों जैसे, पंजाब में 3504, चंडीगढ़ में 1501 लोग मिसंग हैं. यानी कि उत्तराखंड जैसी शांत वादियों का ये आंकड़ा कुछ राज्यों से काफी ज्यादा है. हालांकि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान में आंकड़ा उत्तराखंड से जरूर ज्यादा है लेकिन उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों और जनसंख्या के हिसाब से देखें तो राज्य में मिसिंग लोगों की संख्या चौंकाने वाली है.

मानव तस्करी की आशंका
बड़ी संख्या में उत्तराखंड से लोगों का लापता होना बड़ी चुनौती है. ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इसका संबंध कई अपराधों जैसे, देह व्यापार, भिक्षावृत्ति, मानव तस्करी से जुड़ा हुआ हो. एक्सपर्ट भी मानते हैं कि जब तक लापता लोगों की खोज नहीं हो जाती इसमें मानव तस्करी की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता.

बड़ी संख्या में लोगों के लापता होने से देह व्यापार, भिक्षावृत्ति और मानव तस्करी का क्राइम इनसे जुड़ा हो सकता है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो बिना बताए घर छोड़कर चले गये होंगे, लेकिन ये बात अपने आप में गंभीर इसलिए हो जाती है क्योंकि मिसिंग लोगों का जब तक पता नहीं चल जाता उनकी खोज नहीं हो जाती तबतक उत्तराखंड में मानव तस्करी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता.

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