Friday, March 29, 2024
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पाकिस्तान में स्थित वो मंदिर, जहां आकर रोए थे भगवान शिव, महाभारत काल में पांडवो ने कराया था परिसर में बने सात मंदिरों का निर्माण

महाशिवरात्रि मनाने के लिए एक हिंदू जत्था कटास राज मंदिर परिसर की तीर्थ यात्रा के लिए गुरुवार को अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से पाकिस्तान जाएगा. इस मंदिर से जुड़ी प्रचलित मान्यता यह है कि अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ कुंड में जब सती ने आत्मदाह किया था, तो उनके वियोग में भगवान शिव ने आंसू बहाए थे. भगवान शिव के आंसुओं से दो कुंड बने थे उसमें से एक कुंड का नाम कटाक्ष कुंड है. ये कटाक्ष कुंड और उस जगह बना शिव मंदिर अब पाकिस्तान में है. भगवान शिव के आंसू से बना दूसरा कुंड राजस्थान के पुष्कर में है.

यह भी कहा जाता है कि कटस राज मंदिर परिसर में बने सात मंदिरों का निर्माण पांडवों ने महाभारत काल में किया था. पांडवों ने अपने वनवास के लगभग 4 साल यहां बिताए थे. बताया जाता है कि पांडवों ने अपने रहने के लिए यहां सात भवनों का निर्माण किया था. ये भवन ही अब सात मंदिर के नाम से विख्यात हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इसी कुंड के तट पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था.

 महाशिवरात्रि मनाने के लिए एक हिंदू जत्था कटास राज मंदिर परिसर की तीर्थ यात्रा के लिए गुरुवार को अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से पाकिस्तान जाएगा. कटास राज मंदिर परिसर में, महाशिवरात्रि मनाने का मुख्य कार्यक्रम 18 फरवरी से शुरू होगा. तीर्थयात्री प्राचीन मंदिर में अमर कुंड में पवित्र डुबकी लगाएंगे. तीर्थयात्री अमर कुंड में दीये भी जलाएंगे.

धार्मिक स्थलों के दौरे को लेकर वर्ष 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत हिंदू तीर्थयात्रियों को श्री कटास राज मंदिर की यात्रा कराई जा रही है.पाकिस्तान में स्थित वो मंदिर, जहां आकर रोए थे भगवान शिव, महाभारत काल में पांडवो ने कराया था परिसर में बने सात मंदिरों का निर्माण महाशिवरात्रि मनाने के लिए एक हिंदू जत्था कटास राज मंदिर परिसर की तीर्थ यात्रा के लिए गुरुवार को अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से पाकिस्तान जाएगा. कटास राज मंदिर परिसर में,

 कटास राज मंदिर, जिसे किला कटास के नाम से भी जाना जाता है, वॉकवे से जुड़े इस परिसर में कई मंदिर हैं. कटसराज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चकवाल गांव से लगभग 40 किमी की दूरी पर कटस नाम की जगह पर पोटोहर पठार क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर को लेकर पौराणिक काल से काफी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इसी के चलते इस मंदिर के प्रति हिंदुओं की काफी आस्था है.

कटास राज मंदिर, जिसे किला कटास के नाम से भी जाना जाता है, वॉकवे से जुड़े इस परिसर में कई मंदिर हैं. कटसराज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चकवाल गांव से लगभग 40 किमी की दूरी पर कटस नाम की जगह पर पोटोहर पठार क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर को लेकर पौराणिक काल से काफी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इसी के चलते इस मंदिर के प्रति हिंदुओं की काफी आस्था है.

 इस मंदिर से जुड़ी प्रचलित मान्यता यह है कि अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ कुंड में जब सती ने आत्मदाह किया था, तो उनके वियोग में भगवान शिव ने आंसू बहाए थे.

इस मंदिर से जुड़ी प्रचलित मान्यता यह है कि अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ कुंड में जब सती ने आत्मदाह किया था, तो उनके वियोग में भगवान शिव ने आंसू बहाए थे.

 भगवान शिव के आंसुओं से दो कुंड बने थे उसमें से एक कुंड का नाम कटाक्ष कुंड है. ये कटाक्ष कुंड और उस जगह बना शिव मंदिर अब पाकिस्तान में है. भगवान शिव के आंसू से बना दूसरा कुंड राजस्थान के पुष्कर में है.

भगवान शिव के आंसुओं से दो कुंड बने थे उसमें से एक कुंड का नाम कटाक्ष कुंड है. ये कटाक्ष कुंड और उस जगह बना शिव मंदिर अब पाकिस्तान में है. भगवान शिव के आंसू से बना दूसरा कुंड राजस्थान के पुष्कर में है.

 यह भी कहा जाता है कि कटस राज मंदिर परिसर में बने सात मंदिरों का निर्माण पांडवों ने महाभारत काल में किया था. पांडवों ने अपने वनवास के लगभग 4 साल यहां बिताए थे.

यह भी कहा जाता है कि कटस राज मंदिर परिसर में बने सात मंदिरों का निर्माण पांडवों ने महाभारत काल में किया था. पांडवों ने अपने वनवास के लगभग 4 साल यहां बिताए थे.

 बताया जाता है कि पांडवों ने अपने रहने के लिए यहां सात भवनों का निर्माण किया था. ये भवन ही अब सात मंदिर के नाम से विख्यात हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इसी कुंड के तट पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था.

बताया जाता है कि पांडवों ने अपने रहने के लिए यहां सात भवनों का निर्माण किया था. ये भवन ही अब सात मंदिर के नाम से विख्यात हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इसी कुंड के तट पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था.

 धार्मिक स्थलों के दौरे को लेकर वर्ष 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत हिंदू तीर्थयात्रियों को श्री कटास राज मंदिर की यात्रा कराई जा रही है.

धार्मिक स्थलों के दौरे को लेकर वर्ष 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत हिंदू तीर्थयात्रियों को श्री कटास राज मंदिर की यात्रा कराई जा रही है.

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