उत्तराखंड: भगवान बदरीनाथ के मंदिर के रावल पुजारी 30 वर्षीय अमरनाथ नंबूदरी ने आज विधि विधान से पूजन करके गद्दी संभाली । दरअसल बदरीनाथ धाम में जो रावल होते हैं वह दक्षिण भारत के होते हैं। यह परम्परा आदिगुरु शंकराचार्य के कालखंड से चली आ रही है। अभी तक मंदिर में 20 रावल ने अपनी सेवा भाव योगदान दिया है। वहीं 21वें रावल के रूप में अमरनाथ नंबूदरी ने आज उन्होंने धाम में स्थित पंचधाराओं में जाकर वहां के जल से स्नान किया। इसके बाद वह मंदिर पंहुचे और मंदिर परिसर में स्थित हवन कुंड में हवन किया। फिर तप्त कुंड में स्नान के बाद उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया। यह सारी प्रकिया विधिपूर्वक परंपरागत तरीके से संपन्न की गई । सर्वप्रथम मंदिर में पूजा अर्चना शुरू करने और गर्भगृह में प्रवेश से पहले नए रावल का तिलपात्र किया गया, जिसमें कई तरह की प्रक्रियाएं संपन्न की गई। कहा जाता है कि धाम में ढाई सौ साल से रावल परंपरा चल रही है और नए रावल की तैनाती के लिए तिलपात्र परंपरा निभाई जाती है । इसके बाद 13 जुलाई को सबसे पहले नवनियुक्त रावल का मुंडन किया और फिर जनेऊ बदला गया। इसके बाद नवनियुक्त रावल ने बद्रीनाथ धाम स्थित पंच धाराओं में स्नान किया। स्नान आदि के बाद नवनियुक्त रावल बद्रीनाथ मंदिर में आए और फिर मंदिर में धर्माधिकारी और वेदपाठी वैदिक मंत्रोचार के साथ तिलपात्र की प्रक्रियाएं संपन्न हुई। आपको बता दें कि आज सुबह वर्तमान रावल ने भगवान बदरीविशाल का अभिषेक किया और बालभोग लगाया। इस दौरान वहां नए रावल भी मौजूद रहें।
बद्रीनाथ : बद्रीनाथ धाम के 21वें रावल बने 30 वर्षीय अमरनाथ नंबूदरी
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