Monday, September 9, 2024
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सिस्टम की मारः अनदेखी का हाल! जान जोखिम में डाल स्कूल तक पहुंच रहे छात्र, कब सुनेगी सरकार

उत्तराखंड (अल्मोड़ा) : देश भले ही आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो, जहां चांद से लेकर मंगल ग्रह तक देश ने झंडे गाड दिये हों लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि आज भी देश की आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी पहाड़ों के हालात नहीं सुधरे हैं। मैदानी इलाकों को छोड कर दुर्गम पहाडी क्षेत्रों में आज भी लोग मूल भूत सुविधाओं से वंचित है, पहाड़ी क्षेत्रों की हालात यह है , कि यहां स्कूली बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर ही रास्ता पार करना पड़ता है। उसपर यदि बाढ़ आ जाए तो बच्चों की जान को और भी खतरा बन जाता है, लेकिन सालों से इस गांव के लोगों को एक अदद पुल नहीं मिल पाया । जिसको लेकर शासन सत्ता के हुक्मरानों तक इस गांव के लोगों ने अपनी बात तो पहुंचाई है। लेकिन महज वोटरों के रूप में इनकी गिनती तो हुई लेकिन उसके बदले कभी किसी सरकार ने इन गांव वालों के दर्द को समझने की जहमत तक नहीं उठाई है । दरसल ये गांव है भैंसिया छाना ब्लॉक में नागरखान गांव जहां छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डाल कर स्कूल जा रहे हैं। यहां गांव के 15 से अधिक छात्र जीआईसी नगर खान पहुंचने के लिये सुयाल नदी को एक-दूसरे का हाथ पकड़कर पार करते हैं। जबकि स्याल्दे के कैहड़गांव के 60 से अधिक विद्यार्थियों को भी 30 मीटर चौड़ी विनोद नदी को एक-दूसरे के सहारे बस्ते को सिर पर रख पार करना पड़ता है। सिस्टम की अनदेखी के कारण विद्यार्थी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं। सुयाल नदी में उद्यूड़ा और विनोद नदी में कैहड़गांव के पास पुल स्वीकृत हैं। हैरानी यह है कि सालों बाद भी पुल नहीं बन पाया है। तेज बारिश में नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ जाता है। जिस कारण बीते सालों में भी इन क्षेत्रों में हादसे हो चुके हैं। बावजूद इसके हालात जस के तस बने हैं । अब ऐसे में सिस्टम की मार झेल रहे इन गांव के लोगों को किसी सत्ता के हुक्मरानों पर भी भरोसा नहीं रहा।

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