उत्तराखंड में शिक्षा विभाग के कारनामे किसी से छिपे नही हैं। आए दिन शिक्षा महकमे को लेकर चौकाने वाली खबरें सामने आती हैं। ताजा मामला माध्यमिक शिक्षा निदेशक के उस आदेश से जुड़ा हुआ है, जो उन्होंने अभी हाल में दिया था। दरअसल एक ऐसा मामला जो कोर्ट में विचाराधीन है उसपर माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा सुनवाई का आदेश जारी कर दिया गया था। इस मामले मे जब खबर प्रकाशित की गई तो माध्यमिक शिक्षा निदेशक अपने ही आदेश से पलटी मार गए, और आनन फानन आदेश को बदल दिया गया।
बता दें कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी के द्वारा एक आदेश जारी किया गया जिसमें बीस प्रवक्ताओं को उनके पदोन्नति और ज्येष्ठता सूची की जांच के लिए 13 अप्रैल को शैक्षिक प्रमाण पत्र के साथ सुनवाई को बुलवाया गया था। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी के आदेश के अनुसार सुनवाई के दौरान बुलाये गए प्रवक्ताओं के प्रमाण पत्रों के आधार पर वरिष्ठता एवं पदोन्नति पर विचार विमर्श कर निर्णय लिया जाएगा प्रमाणपत्रों के आधार पर जो भी प्रवक्ता पदोन्नति के वक़्त शैक्षिक रूप से योग्य नहीं पाये जाएंगे उन्हे पदोन्नति सूची से हटा दिया जाएगा ।
मामले के अनुसार शिक्षा विभाग ने 2010 में एलटी से प्रवक्ता कैडर में प्रमोशन किए थे प्रोन्नत प्रवक्ताओं को वर्ष 2001 से लेकर 2008 के बीच उनकी नियुक्ति की तारीख से ज्येष्ठता दे दी गयी थी जिसमें 2005-06 और 2006-07 में लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती से नियुक्त कई प्रवक्ता शासनादेश के चलते कनिष्ठ हो गए जिसके बाद 2012 में सीधी भर्ती से चयनित प्रवक्ता इस आदेश के विरुद्द उच्च न्यायालय की शरण में जा पहुंचे तब से लेकर आज तक मामला उच्च न्यायालय में मामला लम्बित है। अब शिक्षा विभाग द्वारा अपना ही आदेश बदल दिया गया है।
देखें पहले और बाद का आदेश…