उत्तरकाशी में शनिवार देर रात आए भूकंप के झटकों ने वर्ष 1991 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा कर दी है। 20 अक्तूबर 1991 को आए 6.6 रिक्टर स्केल के भूंकप ने भारी कहर बरपाया था। त्रासदी में करीब 768 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 5 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 2.5 मैग्नीट्यूड रही. भूकंप की गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी. भूकंप की तीव्रता कम होने के चलते जान माल की कोई हानि की खबर सामने नहीं आई है.
भयंकर थी आपदा
1991 को आए भूकंप में करीब 20 हजार से ज्यादा आवासीय भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। यहां भूकंप के झटकों के बाद लोगों के जेहन में वर्ष 1991 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा हो गई। उस समय भी लोग सोए हुए थे कि रात करीब 2ः53 बजे अचानक धरती डोली और जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे।
उस भूकंप के बाद से जब भी यहां भूकंप का हल्का झटका महसूस होता है तो लोग सिहर उठते हैं। यहां 1991 के बाद से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। जिसके चलते लोगों में चर्चा है कि यदि बड़ा भूकंप आया तो अब पिछली बार से भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। इधर, भूगर्भ वैज्ञानिक डा.सुशील कुमार का कहना है कि पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है।