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जी-20 के वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को तैयार है उत्तराखंड के ये 13 उत्पाद

देहरादून: हिमालयी राज्य उत्तराखंड के लोकल प्रोडक्ट इस बार G20 के मंच पर उत्तराखंड की पहचान को वैश्विक स्तर पर लेकर जाएंगे. दरअसल, इन्वेस्ट इंडिया की ओर से पूरे देश भर में चलाई जा रही वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत उत्तराखंड के 13 जिलों के लिए 13 अलग अलग उत्पादों को चिन्हित कर दिया गया है, जिस पर राज्य सरकार लगातार काम कर रही है. वहीं, उत्तराखंड के ये 13 प्रोडक्ट कौन से हैं, उनकी क्या खासियत है आइए जानते हैं.

Uttarakhand 13 unique product

अल्मोड़ा की बाल मिठाई

1- अल्मोड़ा की बाल मिठाई- अल्मोड़ा की बाल मिठाई कुमाऊं के पहाड़ी इलाकों में एक बेहद पुरानी पहचान रखने वाले मिठाई है, जोकि मीठे दानों से ढकी हुई एक चॉकलेट मिठाई होती है. यह मिठाई अल्मोड़ा के लाल बाजार में 20वीं शताब्दी में पहली बार बनाई गई थी. यह एक ट्रेडिशनल और हिस्टोरिकल पहचान रखने वाली मिठाई है. अल्मोड़ा जिले की तमाम बाजारों में यह मिठाई बनाई जाती है. इस मिठाई को बनाने में ज्यादातर दूध से बने खोया का उपयोग होता है, जो कि पूरी तरह से स्थानीय है. इसे आसानी से स्टोर किया जा सकता है. पूरे अल्मोड़ा जिले में इसकी 80 से ज्यादा रजिस्टर्ड यूनिट हैं, जिसमें 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. बाल मिठाई का डोमेस्टिक मार्केट साइज 2021 में 490 मिलियन का रहा था.

Uttarakhand 13 unique product

बागेश्वर के कॉपर प्रोडक्ट

2- बागेश्वर के कॉपर प्रोडक्ट- कुमाऊं गढ़वाल के इतिहास में व्यावसायिक गतिविधि के तौर पर कॉपर क्राफ्ट यानी ताम्र शिल्प की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है. तांबे के बने बर्तन आज भी उत्तराखंड के अधिकतर इलाकों में पूजा और धार्मिक गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाते हैं. तथ्यों की मानें तो 15 से 16वीं शताब्दीं से यह ट्रेडिशन चलता आ रहा है. अब ताम्र को ज्योग्राफिकल इंडिकेटर भी मिल चुका है. बागेश्वर के ताम्र शिल्प को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में शामिल किया गया है, जिसके अब तक 100 से ज्यादा रजिस्टर्ड यूनिट्स हैं और इसका टर्नओवर 50 लाख के आसपास है. वहीं 40 से ज्यादा लोगों को इससे रोजगार मिलता है और 2021 में कॉपर प्रोडक्ट्स का डोमेस्टिक प्रोडक्शन 34 हजार मीट्रिक टन था.

Uttarakhand 13 unique product

चमोली के नेटल फाइबर प्रोडक्ट

3- चमोली के नेटल फाइबर प्रोडक्ट– चमोली में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत नेटल फाइबर प्रोडक्ट को चुना गया है. हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली नेटल घास को पहाड़ों में बिच्छू घास या कंडाली भी कहा जाता है. बिच्छू घास का इस्तेमाल साबुन और शैंपू में बनाने में भी किया जाता है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली कई औषधीय गुणों वाली घास की कई संभावनाएं हैं. अब तक इसके 5 से ज्यादा यूनिट लग चुके हैं. इस प्रोडक्ट के पोटेंशियल की बात करें तो 2021 में नेटल फाइबर का डोमेस्टिक मार्केट 11 करोड़ के आसपास था.

Uttarakhand 13 unique product

चंपावत का हिमालयन हनी

4- चंपावत का हिमालयन हनी- चंपावत से हिमालयन हनी को भी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में शामिल किया गया है. पारंपरिक तौर से मधुमक्खी पालन करना और व्यावसायिक रूप से शहद निकालना इन दोनों में काफी अंतर है. उस शहद की गुणवत्ता में भी काफी फर्क होता है. चंपावत के हिमालयन हनी यानी पारंपरिक तौर से निकाले जाने वाले शहद को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत रखा गया है. इसकी पूरे प्रदेश में काफी अच्छी संभावनाएं हैं. प्रदेश भर में 200 से ज्यादा मधुमक्खी पालक इस शहद को बनाते हैं. हिमालयन हनी का टर्नओवर सात लाख के आसपास है. इसका 103 क्विंटल के आसपास प्रोडक्शन हर साल किया जाता है, जिसे 230 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. वहीं, अगर हिमालयन हनी के पोटेंशियल की बात करें, तो इसका 2021 में डोमेस्टिक मार्केट साइज 165 हजार करोड़ का रहा था.

Uttarakhand 13 unique product

देहरादून के बेकरी प्रोडक्ट

5- देहरादून के बेकरी प्रोडक्ट- देहरादून जिले के बेकरी प्रोडक्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत लिया गया है. देहरादून शहर की बेकरी प्रोडक्ट के मामले में अच्छी पहचान है, यहां बेकरी प्रोडक्ट का एक बड़ा बाजार है. क्षेत्रीय दृष्टिकोण से देहरादून को बेकरी प्रोडक्ट के रूप में ब्रिटिश काल में पहचान मिली थी. उत्तराखंड के ज्यादातर बेकरी व्यवसाय से जुड़ी इंडस्ट्री देहरादून में है. वहीं, देहरादून इसका एक ऐतिहासिक हब भी रहा है. इसकी पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा यूनिट से टर्नओवर 30 करोड़ के आसपास का है. बेकरी प्रोडक्ट का डोमेस्टिक मार्केट साइज 2021 में 79 हजार करोड़ का रहा था.

Uttarakhand 13 unique product

हरिद्वार का जैगरी (गुड़)

6- हरिद्वार का जैगरी (Jaggery)- हरिद्वार जिले से जैगरी यानी गुड़ से बनने वाले खाद्य पदार्थों को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत रखा गया है. हरिद्वार जिले में इसे बड़े स्तर पर गुड़ के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, क्योंकि मैदानी इलाका होने की वजह से यहां गन्ने से प्राप्त होने वाले गुड़ की मात्रा अच्छी खासी है. हरिद्वार 100 से ज्यादा यूनिट्स अभी काम कर रही हैं. वहीं, 27 करोड़ से ज्यादा इस प्रोडक्ट का टर्नओवर है. मार्केट पोटेंशियल की अगर बात करें तो इसका डोमेस्टिक प्रोडक्शन 2021 में 30 मिलियन मीट्रिक टन रहा था.

Uttarakhand 13 unique product

नैनीताल का ऐपण

7- नैनीताल का ऐपण- नैनीताल से ऐपण प्रोडक्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत लिया गया है. ऐपण कला एक तरह से उत्तराखंड के कुमाऊं की एक पारंपरिक लोक कला है. इसका पौराणिक रूप से इस्तेमाल पूजा, शुद्धिकरण और अन्य धार्मिक आयोजनों पर किया जाता है. यह उत्तराखंड की ट्रेडिशनल आर्ट भी है. ऐपण कला के 5 से ज्यादा बड़े यूनिट्स अभी काम कर रही हैं, जिनका टर्नओवर 29 लाख से ज्यादा है और इसमें 200 से ज्यादा रोजगार उत्पन्न किए हैं. मार्केट पोटेंशियल की बात करें तो हैंड क्राफ्ट में ऐपण कला का डोमेस्टिक मार्केट साइज 2017 में 56 हजार करोड़ का था.

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8- पौड़ी के हर्बल प्रोडक्ट- पौड़ी गढ़वाल से हर्बल प्रोडक्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत रखा गया है. इसकी वजह यह है कि पौड़ी गढ़वाल में हर्बल प्रोजेक्ट की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोसेसिंग बड़े स्तर पर की जाती है. हर्बल प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोसेसिंग ऑर्गेनाइज और अनऑर्गेनाइज दोनों सेक्टरों में की जाती है. ऑर्गेनाइज सेक्टर इंडस्ट्रियल एरिया, तो वहीं अनऑर्गेनाइज सेक्टर में पूरे प्रदेश भर में इसके यूनिट्स लगे हुए हैं. पौड़ी जिले में काफी पहले से ही हर्बल मेडिसिन की मैन्युफैक्चरिंग की जा रही है. इसकी 12 से ज्यादा यूनिट इस वक्त काम कर रही हैं. टर्नओवर की बात करें तो 4 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर के साथ 2016 में इन प्रोडक्ट का डॉमेस्टिक मार्केट 2 हजार करोड़ के आसपास था.

Uttarakhand 13 unique product

पिथौरागढ़ के वूलन प्रोडक्ट

9- पिथौरागढ़ के वूलन प्रोडक्ट- पिथौरागढ़ से वूलन प्रोडक्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत चुना गया है. वूलन प्रोडक्ट प्रदेश में ज्यादातर पिथौरागढ़ में ही बनाए जाते हैं. पिथौरागढ़ के मड़कोट, मुनस्यारी और धारचूला इसके बेसिक हब है. यहां भोटिया समाज द्वारा बनाए जाने वाला हैंडमेड वूलन प्रोडक्ट काफी लोकप्रिय हैं. यह भोटिया समाज का रोजगार का साधन भी है. यह प्रोडक्ट पूरी तरह से पूरी गुणवत्ता के साथ ओरिजिनल हिमालयन भेड़ से तैयार किया जाता है. पिथौरागढ़ के इस वूलन प्रोडक्ट को और ज्योग्राफिकल इंडिकेटर टैग भी प्राप्त हैं. इसे बनाने वाले 500 से ज्यादा आर्टिजन मौजूद हैं, तो वहीं, इसका टर्नओवर 50 लाख के आसपास है, जिसमें इन आर्टिजन को रोजगार प्राप्त होता है. तो वहीं मार्केट पोटेंशियल की बात करें तो 2017 में उत्तराखंड के वूलन प्रोडक्ट का डोमेस्टिक मार्केट साइज 11 हजार करोड़ का था.

Uttarakhand 13 unique product

रुद्रप्रयाग के टेंपल इमिटेशन

10- रुद्रप्रयाग के टेंपल इमिटेशन- रुद्रप्रयाग से टेंपल इमिटेशन को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत चुना गया है. दरअसल, देवभूमि उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों की नकल में मौजूद यह शोपीस सजावट और पुरस्कार के लिए बेहद आकर्षक और सुविधाजनक रहते हैं. हाल ही में इस तरह के पुरस्कारों का चलन बेहद तेजी से बढ़ा है. रुद्रप्रयाग में इस तरह के गिफ्ट आइटम अब तैयार हो रहे हैं. इसकी अब तक 10 से ज्यादा यूनिट लग चुकी हैं. इसका सालाना टर्नओवर 13 लाख के आसपास है, जिसमें करीब 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है. वहीं, स्टैंडिंग में रहने वाले इस गिफ्ट आइटम की मार्केट पोटेंशियल की बात करें तो 2017 में हैंड क्राफ्ट क्षेत्र के इस प्रोडक्ट का डोमेस्टिक मार्केट साइज 56 हजार करोड़ के आसपास था.

Uttarakhand 13 unique product

11- टिहरी के नेचुरल फाइबर प्रोडक्ट्स- टिहरी गढ़वाल से नेचुरल फाइबर प्रोडक्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत चुना गया है. नेचुरल फाइबर प्रोडक्ट्स से बनने वाले सामान ऑर्गेनिक और आकर्षण के रूप में पहले से ही लोकप्रिय हैं. बंगाल से बनने वाली टोकरी व इसके अलावा तमाम तरह के नेचुरल फाइबर से बनने वाले सजावट के सामान आज बाजार में विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. उत्तराखंड का यह ट्रेडिशनल प्रोडक्ट सेगमेंट है, जो कि पारंपरिक तौर से भी उत्तराखंड में तैयार किए जाते हैं. सरकार इसे लगातार बढ़ावा दे रही है, जिसकी व्यावसायिक रूप से 10 से ज्यादा यूनिट्स लग चुकी हैं. वहीं, 2021 में डोमेस्टिक मार्केट साइज 11 हजार करोड़ की थी.

Uttarakhand 13 unique product

उधम सिंह नगर के मूंज घास प्रोडक्ट.

12- उधम सिंह नगर के मूंज घास प्रोडक्ट- उधम सिंह नगर से मूंज घास प्रोडक्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत चुना गया है. यह हैंड मेड ट्रेडिशनल प्रोडक्ट है, जो कि मूंज घास से तैयार होता है. इससे बने प्रोडक्ट बेहद आकर्षक और सजावट में बेहद सुंदर होते हैं. उधम सिंह नगर की थारू जनजाति द्वारा इसे पारंपरिक तौर से बनाया आ जाता है, जिसे उत्तराखंड सरकार भी बढ़ावा दे रही है. इस प्रोजेक्ट पर कई समाजसेवी संस्था और अन्य संस्थाएं काम कर रही हैं. इस प्रोडक्ट का टर्नओवर 25 लाख से ज्यादा का है. वहीं, हर साल 6000 से ज्यादा प्रोडक्ट बन कर बाजार में आते हैं. इस प्रोडक्ट का मार्केट पोटेंशियल देखा जाए तो 2017 में हैंड क्राफ्ट सेगमेंट में इस प्रोडक्ट का डोमेस्टिक मार्केट साइज 56 हजार करोड़ का था.

Uttarakhand 13 unique product

उत्तरकाशी का रेड राइस

13- उत्तरकाशी का रेड राइस- उत्तरकाशी से रेड राइस यानी लाल चावल को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत चुना गया है. रेड राइस इम्यूनिटी और पोषण के मामले में बेहद महत्वपूर्ण अनाज है. हाई न्यूट्रिशन वैल्यू रखने वाला लाल चावल उत्तरकाशी के भौगोलिक परिचय को देखते हुए यहां पर पाया जाता है, जिसकी आज ऑर्गेनिक मार्केट में बेहद डिमांड है. इस पर भी कई संस्थाएं और सरकार बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही हैं. रेड राइस को लेकर व्यावसायिक रूप से 5 से ज्यादा यूनिट अभी काम कर रही हैं. वहीं, टर्नओवर इसका 15 करोड़ के आसपास का है. हर साल 3000 मीट्रिक टन से ज्यादा रेड राइस का प्रोडक्शन होता है. मार्केट पोटेंशियल की बात की जाए तो राइस मार्केट में 2020 में रेड राइस का डोमेस्टिक मार्केट 5 करोड़ के आसपास का था.

इसके अलावा भी उत्तराखंड में कई ऐसे प्रोडक्ट हैं जोकि अपने आप में खास और यूनीक हैं. हिमालय राज्य उत्तराखंड में प्राकृतिक रूप से कई ऐसे प्रोडक्ट पाए जाते हैं या फिर उन्हें बनाया जाता है, जो कि अपने आप में खास विशेषताएं रखते हैं. पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड सरकार द्वारा इन्हें पहचान दिलाने के लिए लगातार काम कर रही हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वोकल फॉर लोकल का कथन दिए जाने के बाद लगातार स्थानीय उत्पादों को पहचान मिल रही है.

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