Saturday, July 27, 2024
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वेब पोर्टल्स के संबंध में एनयूजे के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चंद्र भट्ट और महासचिव सुनील मेहता ने सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक को लिखा पत्र

देहरादून/रुद्रपुर। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चंद्र भट्ट और महासचिव सुनील मेहता ने सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखण्ड के महानिदेशक को लिखे पत्र में पंजीकृत वेब पोर्टल्स के विज्ञापन सुरक्षा धनराशि एवं मान्यता संबन्धित बिन्दुओं पर ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान पत्र में कहा गया कि उत्तराखंड के सूचना विभाग में वेब पोर्टल्स कि सूचीबद्द होने की प्रक्रिया गतिमान हैं। वेब पोर्टल्स के संबंध में कुछ आवश्यक बिन्दु है जिनकी मांग लगातार पत्रकार बंधु उठाते रहे हैं उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों दूर दराज़ इलाकों जहां तक मोबाइल की पहुंच होती है वहां तक वेब पोर्टल ज़िम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कई वर्षों से करते आ रहे हैं बावजूद इसके वेब पोर्टल्स लगातार उपेक्षा का शिकार भी हो रहे हैं। कहा कि वेब पोर्टल्स के पत्रकारों को आत्मनिर्भर पत्रकारिता को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है कि वेब पोर्टल्स की नियमावली में भी शिथिलता लायी जाये। इस दौरान पत्र में महत्वपूर्ण बिन्दुओं का जिक्र किया गया।

सुरक्षा धनराशि: वेब पोर्टल्स को उत्तराखंड में पंजीकरण हेतु टेंडर प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसमें उन्हे फार्म फीस के अलावा सुरक्षा धनराशि भी जमा करवानी होती है जबकि अगर प्रिंट और ईलेक्ट्रोनिक मीडिया के पंजीकरण में कोई भी सुरक्षा धनराशि नहीं देनी होती । हमारा सुझाव है कि वेब पोर्टल्स हेतु सुरक्षा धनराशि जमा करने का नियम खत्म किया जाये क्योंकि यह एक तरह से वेब मीडिया के पत्रकारों के साथ भेदभाव है जबकि अधिकतर वेब पोर्टल्स अनुभवी पत्रकार संचालित करते है और निष्पक्ष होकर खबरों का प्रेषण भी करते है। गौर करने वाली बात ये है कि सुरक्षा धनराशि उन संस्थानों या व्यक्तियों पर लागू होती है जिनके पास विभाग के द्वारा दी गयी कोई धनराशि या वस्तु हो जिसे हड़पा जा सके ख़ुर्द बुर्द किया जा सके। जबकि यहाँ सूचना विभाग वेब पोर्टल्स को विज्ञापन प्रदान करता है जिसे वेब पोर्टल्स वैबसाइट में लगाते है और विज्ञापन चलने कि अवधि पूरी होने के बाद उन्हे स्क्रीनशॉट गूगल एनालिटिक और शपथ पत्र नोटरी करवाकर जमा करवाना होता है तब जाकर सूचना विभाग उन्हे कई महीनों बाद विज्ञापन का भुगतान करता है। अगर सुरक्षा धनराशि वेब पोर्टल से ली जा रही है तो उन्हे विज्ञापन का भुगतान अग्रिम रूप से सूचना विभाग को करना चाहिए ताकि अगर विज्ञापन न चलाया जाए तो वसूली की जा सके। कहा कि जब विज्ञापन का भुगतान सूचना विभाग को ही करना है तो सूचना विभाग का सुरक्षा धनराशि जमा करवाना न्यायोचित्त नहीं है इससे तत्काल प्रभाव से निरस्त होना चाहिए।

विज्ञापन दर और राशि: वर्तमान में 300 से अधिक पंजीकृत वेब पोर्टल्स है और इस वर्ष वेब पोर्टल्स के सूचीबद्ध होने के बाद यह संख्या दो से तीन गुनी तक हो सकती है अगर विज्ञापन की बात करें तो एलेक्ट्रोनिक प्रिंट मीडिया और आउटडोर मीडिया में जारी विज्ञापन प्रति वर्ष जारी विज्ञापन 300 करोड़ तक पहुँच रहे है लेकिन वेब पोर्टल्स में विज्ञापन इनके मुक़ाबले 2 प्रतिशत भी नहीं है जो कि एक चिंतनीय विषय भी है। कहा कि प्रिंट इलेक्ट्रोनिक और आउटडोर मीडिया कि तरह वेब मीडिया को भी प्राथमिकता देते हुए विज्ञापन जारी किए जाये वर्तमान में वेब मीडिया के लिए तीन श्रेणी श्रजित है लेकिन श्रेणी के अनुसार विज्ञापन जारी नहीं होता है कुछ वेब पोर्टल्स को ही विशेष विज्ञापन दे दिये जाते है जिस कारण वेब मीडिया का अधिकतर हिस्सा विज्ञापन से वंचित हो जाता है जो कि पत्रकारों के बीच असमानता पैदा करता है।

वेब पोर्टल्स को सालाना प्रति व्यक्ति आय से अधिक मिले विज्ञापन धनराशि: कहा कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में सालाना प्रति व्यक्ति आय 2,05,000.00 रुपए है और इस वर्ष सरकार का अनुमान है कि प्रति व्यक्ति आय 2,35,000.00 तक जाएगी , लेकिन दुख का विषय है यह कि वेब मीडिया की तीनों श्रेणियों में प्रत्येक को मिले विज्ञापन की धनराशि प्रति व्यक्ति आय तक भी नहीं पहुँच पाती जबकि एक वेब पोर्टल संचालित करने में एक से अधिक व्यक्तियों का ज्ञान मेहनत और आर्थिक व्यय लगता है। इसलिए हमारा निवेदन है कि प्रत्येक वेब मीडिया को मिलने वाले विज्ञापन कम से कम उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय से अधिक या कम से कम बराबर हो।

वेब मीडिया पत्रकारो को मिले मान्यता: कहा कि उत्तराखंड में वेब मीडिया का संचालन विभिन्न मीडिया समूहों से सेवा निवृत्त होकर आए पत्रकार बंधु संचालित करते है या फिर स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता कर रहे पत्रकार स्वयं का वेब पोर्टल स्थापित कर लेते है लेकिन उत्तराखंड सूचना विभाग में वेब पोर्टल्स में कार्य कर रहे पत्रकारों को पत्रकार ही नहीं माना जाता है जिस कारण उनकी मान्यता नहीं हो पाती जबकि उत्तराखंड में मान्यता सूची देखी जाये जो दैनिक पाक्षिक सांध्य दैनिक साप्ताहिक मासिक समाचार पत्र पत्रिकाओं और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में कार्य करने वाले पत्रकार साथियों की मान्यता आसानी से हो जाती है जिसकी फेहरिस्त भी काफी लंबी है। हमारा निवेदन है कि उत्तराखंड सूचना विभाग में पंजीकृत वेब पोर्टल्स में कम से कम एक व्यक्ति की मान्यता होनी चाहिए ताकि पंजीकृत वेब मीडिया को संचालित करने वाले पत्रकारों को उपेक्षा का शिकार न होना पड़े और वे स्वतंत्र रूप से जनता और सरकार से जुड़ कर कार्य कर सकें।

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